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मेरे ऑफिस में एक मैडम है, तलाकशुदा है वो, आज उनसे काफी देर तक बात हुई की आखिर हुआ क्या था उन दोनों के बीच में, तो पता चला की उनके पति चाहते थे की उनकी पत्नी अपना सारा पैसा उनके अकाउंट में ट्रांसफर कर दें,घर का सामान ख़रीदे वह भी अपने माता-पिता से पैसे मांग कर , क्योंकि उन मैडम की सैलरी तो वह पहले ही अपने अकाउंट में ट्रांसफर करा रहे थे.
मेरी समझ में नहीं आया की आज जब हम औरतों की दुनिया पूरी तरह से बदल गयीं है,हमारी सोच, हमारा रहन-सहन, हमारा काम करने का तरीका सब कुछ , फिर भी आज कल के आदमी इस बात को क्यों नहीं कमझते की उनको भी बदलना होगा, अगर वह पत्नी का बाहर काम करना स्वीकार करते है तो उन्हें यह भी स्वीकार करना होगा की घर और बच्चो को अब उन्हें भी संभालना होगा, हमारे ऑफिस में कई लोग आपको यह कहते हुए मिल जायेगे की घर का काम और बच्चो का काम तो औरतों का काम है, मुझे लगता है आदमियों को भी अब अपनी सोच बदलनी होगी क्योंकि तलाक़ होने पर सिर्फ औरतें ही परेशानियां नहीं झेलती, आदमियों को भी उनका ही दर्द होता होगा इस रिश्ते के टूटने का जितना किसी औरत को .
मुझे लगता है अगर आदमी अपनी सोच को थोड़ा सा बदल दे और औरतों को मानसिक तौर पर ज्यादा समझने की कोशिश करें तो शायद एक तलाक़ शब्द के दर्द से बहुत से परिवारों को गुजरना न पड़े.
यह मेरी सोच है,मेरा मानना है,आपका क्या कहते है,वह भी बताये …..
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