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कल मैंने पिंक मूवी देखी .पिंक लड़कियों का रंग, नाम सुनते ही समझ में आ जाता है फिल्म लड़कियों के ऊपर आधारित होगी. मूवी थी भी बहुत अच्छी. हम लड़कियों की ज़िन्दगी को यह समाज किस तरह से अपनी तरह से चलाना चाहता है यह दिखाया गया है.किसी लड़की की हाँ या न या उसकी मर्ज़ी इस समाज के लिए कोई मायने नहीं रखती. हम लड़कियां इस समाज के लिए सिर्फ और सिर्फ एक खिलौना है जिसे सिर्फ तब तक उपयोग किया जाता है जब तक वह समाज के इशारों पर चलती रहती है, नहीं तो उसे तोड़ दिया जाता है या किसी कबाड़ में डालने की कोशिश की जाती है.
इस मूवी को देख कर समझ आया की एक लड़की की इज़्ज़त किसी भी लड़के के ईगो के सामने कितनी छोटी है. अगर कोई लड़की किसी लड़के का ईगो हर्ट करदे तो लड़के को बदला लेने का सिर्फ एक ही तरीका पता है की लड़की का बलात्कार कर दो, नहीं रहेगी किसी को मुह दिखाने लायक, तब समझ में आएगा किसी लड़के से बैर लेने का नतीजा.
हम इक्कीसवी सदी में रहने वाले आज भी अपनी इज़्ज़त को सँभालने में ही अपनी ज़िन्दगी बिता देते है. डर डर के जीते है की कही कल की न्यूज़ में हमारा नाम ना हो.
घर से निकलते है तो अपने पापा,भाई और बेटे की नजरो में कही ना कही एक डर देखते है जो हमारे आधुनिक होने के साथ कम नहीं हो रहा बल्कि बढ़ता जा रहा है. हम लड़कियों ने खुद को हर मैदान में सफल हो कर दिखाया है की हम किसी से कम नहीं है पर क्यों इस विषय पर हम आज भी वही खड़ी है जहाँ सदियों पहले थी. क्यों हमारी सुरक्षा किसी और के हाथ है. क्यों इस सच को हमे स्वीकार करना पड़ता है की अगर हम किसी आदमी के साथ अकेले समय बिताते है और घर सही सलामत पहुच जाते है तो इसमें हमारे चरित्र के अच्छा या बुरा होने से कोई लेना देना नहीं है , हमे कहना पड़ता है की वह आदमी अच्छा था.
आप लोगो को नहीं लगता की लड़कियों को बदनाम करना कितना आसान है, उसके छोटे कपडे, उसका बोलने का तरीका, उसका घर पहुचने का टाइम उसके चरित्र का मापदंड होता है. कितना आसान है किसी लड़की को समाज की नजरों में गिराना.बस कुछ आदमी कह दें की वह गलत औरत है या हम रहें है इसके साथ तो दुनिया के लिए वह आदमी ही सही है क्योंकि वह लड़की वैसे जीना चाहती है, जैसा हमारा समाज लड़कियों को इज़ाज़त नही देता.
मूवी देख कर घर पहुची तो मन में बहुत आक्रोश था एक गुस्सा था उन मर्दो के ऊपर जो लड़कियों को सिर्फ मज़े लेने का जरिया मानते है, लगा ऐसी मूवीज बने तो शायद यह समाज कुछ बदल जाये शायद कुछ लोग समझेगे की लड़की की भी मर्ज़ी मायने रखती है और उसकी मर्ज़ी को भी स्वीकार करना चाहिए क्योंकि वह भी एक इंसान है.
आते ही टीवी खोला तो न्यूज़ चैनल पर न्यूज़ आ रही थी एक लड़की को चार लड़को ने पैंतालीस दिनों तक बंदी बना कर उसका बलात्कार किया. एक ही दिन में उस लड़की को वह लड़के ३ से ४ बार अपनी हवस का शिकार बनाते थे. जब उनका मन भर गया उस लड़की से तो बेच दिया किसी और के हाथ में और फिर वही कहानी….
यह सब देखा और पढ़ा तो लगा की बलात्कार करना आज एक महामारी का रूप ले चुकी है, जिसको अगर अभी नहीं रोक गया तो शायद एक दिन हम अपनी लड़के या लड़कियों के लिए किसी पर विश्वास ही नहीं कर पाएंगे.
आपको लगा होगा की में लड़को को कहाँ से ले आयी इस बात पर ? पर आज की तस्वीर इतनी बिगड़ गयी है की छोटे लड़को को भी सुरक्षित रखने की जरुरत पड़ने लगी है क्योंकि आज का मर्द दिमाग से इतना गन्दा हो चुका है की जरा सा सुख पाने के लिए वह लड़का और लड़की का फर्क भी नहीं कर पाता.
आज हमे सतर्क रहने की जरुरत है हमे उन सभी लोगो की सहायता की जरुरत है जो दिमाग से साफ है. वह लोग जो औरतों की इज़्ज़त करना जानते है, उन लोगो की जिनमे लोगो को समझाने की समंझ है की क्या सही है और क्या गलत .
और एक सबसे बड़ी बात जो में हमेशा कहती हू और मानती भी हू की घर से बड़ा कोई स्कूल नहीं होता. सबसे सच्ची और सबसे अच्छी शिक्षा यही मिल सकती है. अगर हर घर का लड़का अपनी घर की लड़कियों की इज़्ज़त करेगा और उसे यह समझाया जायेगा की घर से निकल कर काम करने वाली औरत या खुल कर जीने वाली औरत का मतलब यह नहीं है की वह हर समय कर किसी के लिए उपलब्ध है ..उसकी भी ज़िन्दगी है और उसकी भी अपनी मर्ज़ी है.
अगर वह आपको आपकी मर्ज़ी के विरुद्ध ना कहती है तो लड़को को समझना होगा की ना का मतलब हमेशा ना होता है ….
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