Zindagi Ka Safar
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ना चाहत थी किसी की,जब मिली थी उससे,
आज बिछड़ कर उससे, बस चाहत है उसी की …
दूरियां थी तो पागल थी मै तेरे प्यार मे,
अब ना चाहत है, ना पागलपन,
बस नजदीकियां है तेरे मेरे दरमियाँ….
ना बांधो मुझे इस तरह बेडियों से, मुझे आज़ाद रहने दो,
यह बेड़ियाँ मेरे ज़िस्म को नहीं, मेरे रूह को जकड़े हुए है …….
पहरो पहर से बस तेरा ही इंतज़ार है ए मेरे हमदम,
कही ये ना हो की तू तो आये, पर मेरी साँस ही ना आये फिर ……..
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