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कविता

Zindagi Ka Safar
Zindagi Ka Safar
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आँखों से गिरा पानी,पानी से बने बादल
बादल ने जो की बरसात, इसमें मेरी क्या खता है!

देखा न आज तक मुझे रोते हुए किसी ने
आज रो पड़ी जो तेरे सामने, इसमें मेरी क्या खता है !

दिल के जिन झख्मो को छुपाया हंसी में मैंने
आज रिसने लगे सभी वो, इसमें मेरी क्या खता है !

आँखों में झिलमिलाता सा एक ख्वाब जो सजा था
आज टूट गया वही तो, इसमें मेरी क्या खता है!

आँखों से गिरा पानी,पानी से बने बादल
बादल ने जो की बरसात, इसमें मेरी क्या खता है!

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